🔁अब तो हम तेरे लिए अजनबी हो गये
बातो के सिलसिले भी कम हो गये
खुशियो से ज़्यादा हमारे पास गम हो गये
क्या पता ये वक़्त बुरा है या बुरे हम हो गये⧭⧭⧭
2)
⧪⧪एक अरसे बाद उस अजनबी से मुलाक़ात हुई,
इशारों ही इशारों मे चाहत की बात हुई,
जाते हुए देखा उसने चाहत भारी निगाओं से,
आँखों से मेरी भी आंसुओं की बरसात हुई⧭⧭⧭
3)
⧬⧬इश्क़ वो नही जो खरीदा जाए,
ये चिंगारी तो खुद-बे-खुद भड़कती है,
मैं यहाँ बेचैन हूँ तेरे लिए,
तू भी तो वहाँ मेरे लिए तड़पती है🔝🔝🔝
4)
🔝🔝वक़्त के मोड़ पे ये कैसा वक़्त आया है,
ज़ख़्म दिल का ज़ुबान पर आया है,
ना रोते थे कभी कांटो की चुभन से,
पर आज ना जाने क्यों फूलों की खुश्बू से रोना आया है🔝🔝🔝🔝
5)
🔝🔝यहाँ कोई किसी के लिए कुछ नही करता,
मरने वाले के साथ कोई नही मरता,
सुना है लोग भूल जाते है मौत के बाद,
यहा तो ज़िंदा है फिर भी कोई याद नही करता🔝🔝🔝
6)
🔝🔝🔝मेरी आँखों के समंदर में जलन कैसी है
आज फिर दिल को तडपाने की लगन कैसी है
अब इस राह पे चिरागों की क़तारें भी नही
अब तेरे शहर की गलियों में घुटन कैसी हैꜜꜜꜜꜜ
7)
ꜜꜜꜜइश्क़ की बात करते करते कहाँ से कहाँ आ गये हम,
उनकी तस्वीर का दीदार करते करते कहाँ से कहाँ आ गये हम…
वो तो शायद हमारे थे ही नही कभी,
और उन्ही की राह देखते देखते आज ये कहाँ आ गये हमꜛꜛꜛꜛ
बातो के सिलसिले भी कम हो गये
खुशियो से ज़्यादा हमारे पास गम हो गये
क्या पता ये वक़्त बुरा है या बुरे हम हो गये⧭⧭⧭
2)
⧪⧪एक अरसे बाद उस अजनबी से मुलाक़ात हुई,
इशारों ही इशारों मे चाहत की बात हुई,
जाते हुए देखा उसने चाहत भारी निगाओं से,
आँखों से मेरी भी आंसुओं की बरसात हुई⧭⧭⧭
3)
⧬⧬इश्क़ वो नही जो खरीदा जाए,
ये चिंगारी तो खुद-बे-खुद भड़कती है,
मैं यहाँ बेचैन हूँ तेरे लिए,
तू भी तो वहाँ मेरे लिए तड़पती है🔝🔝🔝
4)
🔝🔝वक़्त के मोड़ पे ये कैसा वक़्त आया है,
ज़ख़्म दिल का ज़ुबान पर आया है,
ना रोते थे कभी कांटो की चुभन से,
पर आज ना जाने क्यों फूलों की खुश्बू से रोना आया है🔝🔝🔝🔝
5)
🔝🔝यहाँ कोई किसी के लिए कुछ नही करता,
मरने वाले के साथ कोई नही मरता,
सुना है लोग भूल जाते है मौत के बाद,
यहा तो ज़िंदा है फिर भी कोई याद नही करता🔝🔝🔝
6)
🔝🔝🔝मेरी आँखों के समंदर में जलन कैसी है
आज फिर दिल को तडपाने की लगन कैसी है
अब इस राह पे चिरागों की क़तारें भी नही
अब तेरे शहर की गलियों में घुटन कैसी हैꜜꜜꜜꜜ
7)
ꜜꜜꜜइश्क़ की बात करते करते कहाँ से कहाँ आ गये हम,
उनकी तस्वीर का दीदार करते करते कहाँ से कहाँ आ गये हम…
वो तो शायद हमारे थे ही नही कभी,
और उन्ही की राह देखते देखते आज ये कहाँ आ गये हमꜛꜛꜛꜛ
No comments:
Post a Comment