Sunday 16 April 2017

एक ख्वाब हैं जहान में बिखर जायें हम

ज़िंदा रहे तो क्या है, जो मर जाएं हम तो क्या;
दुनिया से ख़ामोशी से गुज़र जाएं हम तो क्या;
हस्ती ही अपनी क्या है ज़माने के सामने;
एक ख्वाब हैं जहान में बिखर जायें हम तो क्या⤸⤸⤸⤸

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