Saturday 13 May 2017

जिसे मिली न मोहब्बत उसके ज़ख्मो का कोई हिसाब

तेरे इश्क की दुनिया में हर कोई मजबूर है;
पल में हँसी पल में आँसू ये चाहत का दस्तूर है;
जिसे मिली न मोहब्बत उसके ज़ख्मो का कोई हिसाब नहीं;
ये मोहब्बत पाने वाला भी दर्द से कहाँ दूर है↗↗↗

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