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Wednesday, 12 April 2017

ये क़ातिलों का शहर है यहाँ तू मुस्कुराने की ज़िद

तू हवा के रुख पे चाहतों का दिया जलाने की ज़िद न कर

ये क़ातिलों का शहर है यहाँ तू मुस्कुराने की ज़िद न कर⬋⬋⬋

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