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Wednesday, 10 May 2017

जिंदगी तुझसे हर कदम पर समझौता क्यों किया

जिंदगी तुझसे हर कदम पर समझौता क्यों किया जाये,
शौक जीने का है मगर इतना भी नहीं कि मर मर कर जिया जाये;
जब जलेबी की तरह उलझ ही रही है तू ए जिंदगी,
तो फिर क्यों न तुझे चाशनी में डुबा कर मजा ले ही लिया जाये↵↵↵

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