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Wednesday, 3 May 2017

वो मोहब्बत भी तेरी थी, वो नफ़रत भी तेरी

वो मोहब्बत भी तेरी थी, वो नफ़रत भी तेरी थी,
वो अपनाने और ठुकराने की अदा भी तेरी थी,
मैं अपनी वफ़ा का इंसाफ़ किस से माँगता?…
वो शहर भी तेरा था, वो अदालत भी तेरी थी↵↵↵

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