⧭⧭⧭दिवाली रोज मनाएं
फूलझड़ी फूल बिखेरे
चकरी चक्कर खाए
अनार उछला आसमान तक
रस्सी-बम धमकाए
सांप की गोली हो गई लम्बी
रेल धागे पर दौड़ लगाए
आग लगाओ रॉकेट को तो
वो दुनिया नाप आए
टिकड़ी के संग छोटे-मोटे
बम बच्चों को भाए
ऐसा लगता है दिवाली
हम तुम रोज मनाएं⬋⬋⬋⬋
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
⧭⧭दिवाली पर चूहे जी ने,
नया सूट सिलवाया.
बिल्ली रानी ने परिधान,
लन्दन से मंगवाया.
शेरजी ने भी मंगवाई,
जोधपुर की शेरवानी,
बन्दर भैया लेकर आया,
नीला सूट पठानी.
भालू जी का सफ़ेद कोट,
सबके मन को भाया,
हाथी दादा का कुर्ता पाजामा,
कलकत्ता से आया.
जंगल सजा पेड़ मुश्काए,
पवन चली मतवाली,
धूम धाम से सबने मनाई,
जंगल में दिवाली⬁⬁⬁
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
⧭⧭दिवाली क दीपक जगमगाये आपके अगन में ,
सात रंग सजे इस साल आपके अगन में
आया है ये त्यौहार खुसिया लेके
हर खुसी सजे इस साल आपके अगन में
रोसनी से हो रोसन हर लम्हा आपका
हर रोसनी सजे इस साल आपके अगन में
दुआ हम करते है आप सलामत रहे
हर दुआ सजे इस साल आपके अगन में⧭⧭⧭⧭⧭
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
⧭⧭दीपों का त्यौहार दिवाली आई है,
खुशियों का संसार दिवाली आई है⬋⬋⬋
घर आँगन सब नया-सा लगता है,
नया -नया परिधान सभी को फबता है,
नए नए उपहार दिवाली लायी है,
खुशियों का संसार दिवाली लायी है.
दीप सजे जैसे मोती की लड़ियाँ हैं,
नन्हे -नन्हे हाथों में फूलझड़ियाँ हैं,
जलते हुए अनार दिवाली लायी है,
खुशियों का संसार दिवाली लायी है.
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सोने की बाती, चाँदी सा उजाला,
दीपावली का पर्व है मतवाला.
बम फटे और चले पटाखे,
रोशनी से मूंद -मूंद गयी आँखें.
अमावस का धुला दाग काला,
दीपावली का पर्व मतवाला.
⧭फसल आई घर शुभ यही लाभ,
हिसाब नए शुरू यही रंग आम.
⧭बधाई मिठाई का चला है दौर,
साफ़ स्वछता है हर ठौर.
⧭नया कैलेंडर ये बतलाता,
दीपावली का पर्व है मतवाला⬋⬋
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
6) दीपावली पर बाल-मन की कविता
दीपों का त्योहार दीवाली।
खुशियों का त्योहार दीवाली॥
वनवास पूरा कर आये श्रीराम।
अयोध्या के मन भाये श्रीराम।।
⬋⬋घर-घर सजे , सजे हैं आँगन।
जलते पटाखे, फ़ुलझड़ियाँ बम।।
लक्ष्मी गणेश का पूजन करें लोग।
लड्डुओं का लगता है भोग॥
पहनें नये कपड़े, खिलाते है मिठाई⬋⬋⬋
देखो देखो दीपावली आई॥
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
⬋⬋पर्व है पुरुषार्थ का,
दीप के दिव्यार्थ का,
देहरी पर दीप एक जलता रहे,
अंधकार से युद्ध यह चलता रहे,
हारेगी हर बार अंधियारे की घोर-कालिमा,
जीतेगी जगमग उजियारे की स्वर्ण-लालिमा,
दीप ही ज्योति का प्रथम तीर्थ है,
कायम रहे इसका अर्थ, वरना व्यर्थ है,
आशीषों की मधुर छांव इसे दे दीजिए,
प्रार्थना-शुभकामना हमारी ले लीजिए!!
झिलमिल रोशनी में निवेदित अविरल शुभकामना
आस्था के आलोक में आदरयुक्त मंगल भावना⧭⧭⧭⧭
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
⧭⧭फैल गयी दीपों की माला
मंदिर-मंदिर में उजियाला,
किंतु हमारे घर का, देखो, दर काला, दीवारें काली!
साथी, घर-घर आज दिवाली⬋⬋⬋⬋
हास उमंग हृदय में भर-भर
घूम रहा गृह-गृह पथ-पथ पर,
किंतु हमारे घर के अंदर डरा हुआ सूनापन खाली!
साथी, घर-घर आज दिवाली!
⧭⧭आँख हमारी नभ-मंडल पर,
वही हमारा नीलम का घर,
दीप मालिका मना रही है रात हमारी तारोंवाली!
साथी, घर-घर आज दिवाली⬋⬋⬋
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
9) ⧭⧭⧭दिवाली की रात है आई
दीपों की पंक्ति में हँसती,
दिवाली की रात है आई.
दीपा, राजू ने मिल-जुल कर,
घर, आँगन की करी सफाई.
पूजा की थाली में सजते,
मेवा, कुमकुम, फूल, मिठाई.
फूलझड़ी नाचे मतवाली,
नाचे फिरकी और हवाई.
खिल खिल करते हँसे अनार,
बम्बों ने है धूम मचाई.
पुण्य सदा जीता है जग में,
यही तो है अटल सच्चाई.
प्रेम प्यार का भाव बताती,
दिवाली की रात है आई.
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
वह मंगल दीप दिवाली थी
दीपो से जगमग थाली थी
कोई दिये जला कर तोड़ गया
आशा की किरण को रोक गया
इस बार ना ये हो पाएगा
अंधियारा ना टिक पाएगा
कर ले कोशिश कोई लाख मगर
कोई दिया ना बूझने पाएगा
जब रात में बारह बजते हैं
सब लक्ष्मी पूजा करते हैं
रात की काली माया के लिये
दीपों से उजाला करते हैं
दिवाली खूब मनाएंगे
लड्डू और पेड़ा खाएंगे
अंतर्मन के अंधेरे को..
दीपो से दूर भगाएँगे⬋⬋
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
है दीप पर्व आने वाला
हमको भी दीप जलाना है
मन के अंदर जो बसा हुआ
सारा अंधियार मिटाना है
हम दीप जला तो लेते हैं
बाहर उजियारा कर लेते
मन का मंदिर सूना रहता
बस रस्म गुजारा कर लेते
इस बार मगर कुछ नया करें
अंतस का दीप जगाना है
बाहर का अंधियार मिटा
फिर भी ये राह अबूझी है
जब तक अंतर्मन दीप बुझा
देवत्व राह अनबूझी है
सद्ज्ञान राह फैलाकर के
सारा मानस चमकाना है
है दीप पर्व आने वाला।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
⧭⧭जगमग सबकी मने दिवाली,
खुशी उछालें भर-भर थाली।
खील खिलौने और बताशे,
खूब बजाएं बाजे ताशे।
ज्योति-पर्व है,ज्योति जलाएं,
मन के तम को दूर भगाएं।
दीप जलाएं सबके घर पर,
जो नम आँखें उनके घर पर।
हर मन में जब दीप जलेगा,
तभी दिवाली पर्व मनेगा।
खुशियाँ सबके घर-घर बाँटें,
तिमिर कुहासा मन का छाँटें।
धूम धड़ाका खुशी मनाएं,
सभी जगह पर दीप जलाएं।
कोई कोना ऐसा हो ना,
जिसमें जलता दीप दिखे ना।
देखो, ऊपर नभ में थाली,
चन्दा के घर मनी दिवाली।
देखो, ढ़ेरों दीप जले हैं,
नहीं पटाखे वहाँ चले हैं।
कैसी सुन्दर हवा वहाँ है,
बोलो कैसी हवा यहाँ है।
सुनो, पटाखे नहीं चलाएं,
धुआँ, धुन्ध से मुक्ति पाए।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
⬋⬋Ayi re ayi diwali
Patakhe tohfe layi diwali
Dil ko khush karne ayi diwali
Ayi re ayi diwali
Ayi re ayi diwali
Maze karte huye bacche dekho
Mummy ka na papa ka dar hai
School ka na teacher ka dar hai
Bulb fool lagate papa⬋⬋
Mandir sajati dekho mummy
Bacche hain khelte koodte
Pathako main ekdum must hai
Khaana dekho banati chachi
Chocolate khate dekho chacha
Bhagwanji ki puja main sab⬌⬌
Shish jhukn ke baithe dekho
Arti lekar or parshaad khaakar
Jhoom utha saara parivaar
Ayi re ayi diwali
Ayi re ayi diwali
Khushiya dekho lai diwal
Ayi re ayi diwali⬋⬋
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Aayaa tyohaar Diwali ka
Bachcho ki khushhali ka
Bablu kahate papa se
Mujhako PC lana hai
guriya kahati mammi se
hame sitar bajana hai
papa bare achambhe me hai
ye mausam kangali ka
Aayaa tyohaar diwali ka
Bibi kahati pati dev se
Jab bonus tum paayoge
Sabse pahale haar sunahara
La mujhako pahnaao ge
Pati dev to mook bane hai
Rupaya denaa udhaari ka
Aayaa tyohaar diwali ka
Sab ki farmaish se tang huye hai
Bablu guriya ke papa ji
Patni to sir chadh kar bole
Kabhi na kahati aao ji
Ab bhaag na sakate papa ji
Jo theka liye rakhwali ka
Aayaa tyohaar diwali ka
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Jhilmiljhilmil bijli ki
Rang Birangi Ladiyan
Nanhe munne hathon main veh
Dil fareb Phuljhariyan
Diwali hai Parv Milan ka,
Bharat milihin nij bhai
Chaurahe, mandir, galiyon main
Lage hue hain mele
Nazar pade jis or dikhe,
Bhare khushi se chehre
Chaudah baras baad laute hain,
Siya Lakhan Raghurai
Diwali ke din hain jaise,
Ghar main ho koi shagai
Andar bahar hoye Safedi,
Khush Amma, Khush daadi
Govardhan ko dhare chhanguriya
Inhi dinan gosayin,
andhere ki raina bete ,
⧭Faila hai ujiyara⬌⬌
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
⧭⧭अपने घर को तो हमने
चिरागों से रौशन कर दिया
दिये जलाएं ढेरों
और अमावस का सारा तम
पल भर में हर लिया।
माँ लक्ष्मी के स्वागत की
सारी तैयारी कर ली
मिठाई और मेवों से
पूजा की थालियाँ भर ली।
छोड़े ढ़ेर सारे पटाखे
और फुलझड़ियाँ
दोस्तों और रिश्तेदारों को दी
ढ़ेरों बधाईयाँ।
कर दी मीठे पकवानों की
थालियाँ खाली
लो मन गयी हमारी
एक और दिवाली⬌⬌⬌
पर ना जाने कितने घर हैं
जहाँ आज भी दिया जला नहीं
ना जाने कितनी हैं आँखें
जिनमें कोई ख़्वाब अब तक पला नहीं।
⧭⧭क्या सिर्फ अपने घर को रौशन कर देने से
दिवाली मन जाती है ?
दिवाली है बुराई पर अच्छाई की
विजय का प्रतीक
क्या सिर्फ लक्ष्मी पूजन से
हमारे कर्तव्यों की छुट्टी हो जाती है⬋⬋⬋⬋
रोशन कर दो इस दिवाली
अपने-अपने अंतर्मन को
और हर लो उन सबके अंधरे
जो जीते हैं सुबह शाम तम को।
ताकि बन जाए उनकी भी ये शाम निराली
और मन जाए हमारी एक सार्थक दिवाली।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
⧭⧭एक दिया ऐसा भी हो⧭⧭⧭
जो भीतर तलक प्रकाश करे,
एक दिया मुर्दा जीवन में
फिर आकर क़ुछ श्वास भरे
एक दिया सादा हो इतना,
जैसे सरल साधु का जीवन,
एक दिया इतना सुन्दर हो,
जैसे देवों का उपवन
एक दिया जो भेद मिटाये,
क्या तेरा -क्या मेरा है,
एक दिया जो याद दिलाये,
हर रात के बाद सवेरा है
एक दिया उनकी खातिर हो,
जिनके घर में दिया नहीं ,
एक दिया उन बेचारों का,
जिनको घर ही दिया नहीं
एक दिया सीमा के रक्षक,
अपने वीर जवानों का
एक दिया मानवता – रक्षक,
चंद बचे इंसानों का !
एक दिया विश्वास दे उनको ,
जिनकी हिम्मत टूट गयी ,
एक दिया उस राह में भी हो ,
जो कल पीछे छूट गयी
एक दिया जो अंधकार का ,
जड़ के साथ विनाश करे ,
एक दिया ऐसा भी हो ,
जो भीतर तलक प्रकाश करे। …
आपको प्रकाशोत्सव
⧭⧭⧭दीपावली ” की हार्दिक⬋⬋⬋⬋शुभकामना
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
⬌⬌आज एक वर मांगता हूँ मैं तो अपने राम से,
दीप को प्रज्वलित कर दो आप अपने नाम से.
पाप का अँधेरा मिटे,
और शान्ति का साम्राज्य हो.
बंद हो जाए लड़ाई मजहबों के नाम से.
आज एक वर मांगता हूँ मैं तो अपने राम से,
दीपक जले फ़िर प्रेम का,
सौहार्द की हो रोशनी.
चलने लगे फ़िर से ये दुनिया राम के आदर्श पे.
राम के आदर्श पे धरती बने फ़िर स्वर्ग सी.
कहे कवि “मेजर” ये दुनिया है तेरे एहसान से.
आज एक वर मांगता हूँ मैं तो अपने राम से,
दीप को प्रज्वलित कर दो आप अपने नाम से⬋⬋⬋
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
19) Happy Short Diwali Poems in Hindi
⧭⧭आओ मिलकर दीप जलाएं
अँधेरा धरा से दूर भगाएं
रह न जाय अँधेरा कहीं घर का कोई सूना कोना
सदा ऐसा कोई दीप जलाते रहना
हर घर -आँगन में रंगोली सजाएं
आओ मिलकर दीप जलाएं.
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
हर दिन जीते अपनों के लिए
कभी दूसरों के लिए भी जी कर देखें
हर दिन अपने लिए रोशनी तलाशें
एक दिन दीप सा रोशन होकर देखें
दीप सा हरदम उजियारा फैलाएं
आओ मिलकर दीप जलाएं.
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
⧭⧭भेदभाव, ऊँच -नीच की दीवार ढहाकर
आपस में सब मिलजुल पग बढायें
पर सेवा का संकल्प लेकर मन में
जहाँ से नफरत की दीवार ढहायें
सर्वहित संकल्प का थाल सजाएँ
आओ मिलकर दीप जलाएं
अँधेरा धरा से दूर भगाएं.
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
⧭⧭आँखों से आँखों में मोहब्बत के दीये जलाना
झिलमिल-झिलमिल दीपों सा हिल-मिल के खुशी मनाना
कहीं ज्ञान का कही विज्ञान का रोशनी बीखेर
अँधेरा अदंर हो या बाहर तुम प्रेम से दीये जलाना
चाँद सूरज काफी नही है जग का तम हरने को
भर-भर मुट्ठी मशाल कोने -कोने पे जलाना
खंडहर हो या आलीशान महलें भेद-भाव न कर
अँधेरा रास न आया कीसी को तू हर जगह दीप जलाना
ये क्या बात हुई दिवाली में ही सिर्फ दीये जले
मकसद तमस मिटाना है तू वजह-बेवजह दीप जलाना
बुझे नही ज़िंदगी का चिराग किसी आंधी-तूफान से
गम और निराशा की कही कालिमा न रहे तू इतना दीप जलाना⬋⬋⬋
फूलझड़ी फूल बिखेरे
चकरी चक्कर खाए
अनार उछला आसमान तक
रस्सी-बम धमकाए
सांप की गोली हो गई लम्बी
रेल धागे पर दौड़ लगाए
आग लगाओ रॉकेट को तो
वो दुनिया नाप आए
टिकड़ी के संग छोटे-मोटे
बम बच्चों को भाए
ऐसा लगता है दिवाली
हम तुम रोज मनाएं⬋⬋⬋⬋
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
⧭⧭दिवाली पर चूहे जी ने,
नया सूट सिलवाया.
बिल्ली रानी ने परिधान,
लन्दन से मंगवाया.
शेरजी ने भी मंगवाई,
जोधपुर की शेरवानी,
बन्दर भैया लेकर आया,
नीला सूट पठानी.
भालू जी का सफ़ेद कोट,
सबके मन को भाया,
हाथी दादा का कुर्ता पाजामा,
कलकत्ता से आया.
जंगल सजा पेड़ मुश्काए,
पवन चली मतवाली,
धूम धाम से सबने मनाई,
जंगल में दिवाली⬁⬁⬁
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
⧭⧭दिवाली क दीपक जगमगाये आपके अगन में ,
सात रंग सजे इस साल आपके अगन में
आया है ये त्यौहार खुसिया लेके
हर खुसी सजे इस साल आपके अगन में
रोसनी से हो रोसन हर लम्हा आपका
हर रोसनी सजे इस साल आपके अगन में
दुआ हम करते है आप सलामत रहे
हर दुआ सजे इस साल आपके अगन में⧭⧭⧭⧭⧭
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
⧭⧭दीपों का त्यौहार दिवाली आई है,
खुशियों का संसार दिवाली आई है⬋⬋⬋
घर आँगन सब नया-सा लगता है,
नया -नया परिधान सभी को फबता है,
नए नए उपहार दिवाली लायी है,
खुशियों का संसार दिवाली लायी है.
दीप सजे जैसे मोती की लड़ियाँ हैं,
नन्हे -नन्हे हाथों में फूलझड़ियाँ हैं,
जलते हुए अनार दिवाली लायी है,
खुशियों का संसार दिवाली लायी है.
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सोने की बाती, चाँदी सा उजाला,
दीपावली का पर्व है मतवाला.
बम फटे और चले पटाखे,
रोशनी से मूंद -मूंद गयी आँखें.
अमावस का धुला दाग काला,
दीपावली का पर्व मतवाला.
⧭फसल आई घर शुभ यही लाभ,
हिसाब नए शुरू यही रंग आम.
⧭बधाई मिठाई का चला है दौर,
साफ़ स्वछता है हर ठौर.
⧭नया कैलेंडर ये बतलाता,
दीपावली का पर्व है मतवाला⬋⬋
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
6) दीपावली पर बाल-मन की कविता
दीपों का त्योहार दीवाली।
खुशियों का त्योहार दीवाली॥
वनवास पूरा कर आये श्रीराम।
अयोध्या के मन भाये श्रीराम।।
⬋⬋घर-घर सजे , सजे हैं आँगन।
जलते पटाखे, फ़ुलझड़ियाँ बम।।
लक्ष्मी गणेश का पूजन करें लोग।
लड्डुओं का लगता है भोग॥
पहनें नये कपड़े, खिलाते है मिठाई⬋⬋⬋
देखो देखो दीपावली आई॥
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
⬋⬋पर्व है पुरुषार्थ का,
दीप के दिव्यार्थ का,
देहरी पर दीप एक जलता रहे,
अंधकार से युद्ध यह चलता रहे,
हारेगी हर बार अंधियारे की घोर-कालिमा,
जीतेगी जगमग उजियारे की स्वर्ण-लालिमा,
दीप ही ज्योति का प्रथम तीर्थ है,
कायम रहे इसका अर्थ, वरना व्यर्थ है,
आशीषों की मधुर छांव इसे दे दीजिए,
प्रार्थना-शुभकामना हमारी ले लीजिए!!
झिलमिल रोशनी में निवेदित अविरल शुभकामना
आस्था के आलोक में आदरयुक्त मंगल भावना⧭⧭⧭⧭
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⧭⧭फैल गयी दीपों की माला
मंदिर-मंदिर में उजियाला,
किंतु हमारे घर का, देखो, दर काला, दीवारें काली!
साथी, घर-घर आज दिवाली⬋⬋⬋⬋
हास उमंग हृदय में भर-भर
घूम रहा गृह-गृह पथ-पथ पर,
किंतु हमारे घर के अंदर डरा हुआ सूनापन खाली!
साथी, घर-घर आज दिवाली!
⧭⧭आँख हमारी नभ-मंडल पर,
वही हमारा नीलम का घर,
दीप मालिका मना रही है रात हमारी तारोंवाली!
साथी, घर-घर आज दिवाली⬋⬋⬋
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
9) ⧭⧭⧭दिवाली की रात है आई
दीपों की पंक्ति में हँसती,
दिवाली की रात है आई.
दीपा, राजू ने मिल-जुल कर,
घर, आँगन की करी सफाई.
पूजा की थाली में सजते,
मेवा, कुमकुम, फूल, मिठाई.
फूलझड़ी नाचे मतवाली,
नाचे फिरकी और हवाई.
खिल खिल करते हँसे अनार,
बम्बों ने है धूम मचाई.
पुण्य सदा जीता है जग में,
यही तो है अटल सच्चाई.
प्रेम प्यार का भाव बताती,
दिवाली की रात है आई.
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वह मंगल दीप दिवाली थी
दीपो से जगमग थाली थी
कोई दिये जला कर तोड़ गया
आशा की किरण को रोक गया
इस बार ना ये हो पाएगा
अंधियारा ना टिक पाएगा
कर ले कोशिश कोई लाख मगर
कोई दिया ना बूझने पाएगा
जब रात में बारह बजते हैं
सब लक्ष्मी पूजा करते हैं
रात की काली माया के लिये
दीपों से उजाला करते हैं
दिवाली खूब मनाएंगे
लड्डू और पेड़ा खाएंगे
अंतर्मन के अंधेरे को..
दीपो से दूर भगाएँगे⬋⬋
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है दीप पर्व आने वाला
हमको भी दीप जलाना है
मन के अंदर जो बसा हुआ
सारा अंधियार मिटाना है
हम दीप जला तो लेते हैं
बाहर उजियारा कर लेते
मन का मंदिर सूना रहता
बस रस्म गुजारा कर लेते
इस बार मगर कुछ नया करें
अंतस का दीप जगाना है
बाहर का अंधियार मिटा
फिर भी ये राह अबूझी है
जब तक अंतर्मन दीप बुझा
देवत्व राह अनबूझी है
सद्ज्ञान राह फैलाकर के
सारा मानस चमकाना है
है दीप पर्व आने वाला।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
⧭⧭जगमग सबकी मने दिवाली,
खुशी उछालें भर-भर थाली।
खील खिलौने और बताशे,
खूब बजाएं बाजे ताशे।
ज्योति-पर्व है,ज्योति जलाएं,
मन के तम को दूर भगाएं।
दीप जलाएं सबके घर पर,
जो नम आँखें उनके घर पर।
हर मन में जब दीप जलेगा,
तभी दिवाली पर्व मनेगा।
खुशियाँ सबके घर-घर बाँटें,
तिमिर कुहासा मन का छाँटें।
धूम धड़ाका खुशी मनाएं,
सभी जगह पर दीप जलाएं।
कोई कोना ऐसा हो ना,
जिसमें जलता दीप दिखे ना।
देखो, ऊपर नभ में थाली,
चन्दा के घर मनी दिवाली।
देखो, ढ़ेरों दीप जले हैं,
नहीं पटाखे वहाँ चले हैं।
कैसी सुन्दर हवा वहाँ है,
बोलो कैसी हवा यहाँ है।
सुनो, पटाखे नहीं चलाएं,
धुआँ, धुन्ध से मुक्ति पाए।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
⬋⬋Ayi re ayi diwali
Patakhe tohfe layi diwali
Dil ko khush karne ayi diwali
Ayi re ayi diwali
Ayi re ayi diwali
Maze karte huye bacche dekho
Mummy ka na papa ka dar hai
School ka na teacher ka dar hai
Bulb fool lagate papa⬋⬋
Mandir sajati dekho mummy
Bacche hain khelte koodte
Pathako main ekdum must hai
Khaana dekho banati chachi
Chocolate khate dekho chacha
Bhagwanji ki puja main sab⬌⬌
Shish jhukn ke baithe dekho
Arti lekar or parshaad khaakar
Jhoom utha saara parivaar
Ayi re ayi diwali
Ayi re ayi diwali
Khushiya dekho lai diwal
Ayi re ayi diwali⬋⬋
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Aayaa tyohaar Diwali ka
Bachcho ki khushhali ka
Bablu kahate papa se
Mujhako PC lana hai
guriya kahati mammi se
hame sitar bajana hai
papa bare achambhe me hai
ye mausam kangali ka
Aayaa tyohaar diwali ka
Bibi kahati pati dev se
Jab bonus tum paayoge
Sabse pahale haar sunahara
La mujhako pahnaao ge
Pati dev to mook bane hai
Rupaya denaa udhaari ka
Aayaa tyohaar diwali ka
Sab ki farmaish se tang huye hai
Bablu guriya ke papa ji
Patni to sir chadh kar bole
Kabhi na kahati aao ji
Ab bhaag na sakate papa ji
Jo theka liye rakhwali ka
Aayaa tyohaar diwali ka
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Jhilmiljhilmil bijli ki
Rang Birangi Ladiyan
Nanhe munne hathon main veh
Dil fareb Phuljhariyan
Diwali hai Parv Milan ka,
Bharat milihin nij bhai
Chaurahe, mandir, galiyon main
Lage hue hain mele
Nazar pade jis or dikhe,
Bhare khushi se chehre
Chaudah baras baad laute hain,
Siya Lakhan Raghurai
Diwali ke din hain jaise,
Ghar main ho koi shagai
Andar bahar hoye Safedi,
Khush Amma, Khush daadi
Govardhan ko dhare chhanguriya
Inhi dinan gosayin,
andhere ki raina bete ,
⧭Faila hai ujiyara⬌⬌
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⧭⧭अपने घर को तो हमने
चिरागों से रौशन कर दिया
दिये जलाएं ढेरों
और अमावस का सारा तम
पल भर में हर लिया।
माँ लक्ष्मी के स्वागत की
सारी तैयारी कर ली
मिठाई और मेवों से
पूजा की थालियाँ भर ली।
छोड़े ढ़ेर सारे पटाखे
और फुलझड़ियाँ
दोस्तों और रिश्तेदारों को दी
ढ़ेरों बधाईयाँ।
कर दी मीठे पकवानों की
थालियाँ खाली
लो मन गयी हमारी
एक और दिवाली⬌⬌⬌
पर ना जाने कितने घर हैं
जहाँ आज भी दिया जला नहीं
ना जाने कितनी हैं आँखें
जिनमें कोई ख़्वाब अब तक पला नहीं।
⧭⧭क्या सिर्फ अपने घर को रौशन कर देने से
दिवाली मन जाती है ?
दिवाली है बुराई पर अच्छाई की
विजय का प्रतीक
क्या सिर्फ लक्ष्मी पूजन से
हमारे कर्तव्यों की छुट्टी हो जाती है⬋⬋⬋⬋
रोशन कर दो इस दिवाली
अपने-अपने अंतर्मन को
और हर लो उन सबके अंधरे
जो जीते हैं सुबह शाम तम को।
ताकि बन जाए उनकी भी ये शाम निराली
और मन जाए हमारी एक सार्थक दिवाली।
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⧭⧭एक दिया ऐसा भी हो⧭⧭⧭
जो भीतर तलक प्रकाश करे,
एक दिया मुर्दा जीवन में
फिर आकर क़ुछ श्वास भरे
एक दिया सादा हो इतना,
जैसे सरल साधु का जीवन,
एक दिया इतना सुन्दर हो,
जैसे देवों का उपवन
एक दिया जो भेद मिटाये,
क्या तेरा -क्या मेरा है,
एक दिया जो याद दिलाये,
हर रात के बाद सवेरा है
एक दिया उनकी खातिर हो,
जिनके घर में दिया नहीं ,
एक दिया उन बेचारों का,
जिनको घर ही दिया नहीं
एक दिया सीमा के रक्षक,
अपने वीर जवानों का
एक दिया मानवता – रक्षक,
चंद बचे इंसानों का !
एक दिया विश्वास दे उनको ,
जिनकी हिम्मत टूट गयी ,
एक दिया उस राह में भी हो ,
जो कल पीछे छूट गयी
एक दिया जो अंधकार का ,
जड़ के साथ विनाश करे ,
एक दिया ऐसा भी हो ,
जो भीतर तलक प्रकाश करे। …
आपको प्रकाशोत्सव
⧭⧭⧭दीपावली ” की हार्दिक⬋⬋⬋⬋शुभकामना
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⬌⬌आज एक वर मांगता हूँ मैं तो अपने राम से,
दीप को प्रज्वलित कर दो आप अपने नाम से.
पाप का अँधेरा मिटे,
और शान्ति का साम्राज्य हो.
बंद हो जाए लड़ाई मजहबों के नाम से.
आज एक वर मांगता हूँ मैं तो अपने राम से,
दीपक जले फ़िर प्रेम का,
सौहार्द की हो रोशनी.
चलने लगे फ़िर से ये दुनिया राम के आदर्श पे.
राम के आदर्श पे धरती बने फ़िर स्वर्ग सी.
कहे कवि “मेजर” ये दुनिया है तेरे एहसान से.
आज एक वर मांगता हूँ मैं तो अपने राम से,
दीप को प्रज्वलित कर दो आप अपने नाम से⬋⬋⬋
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19) Happy Short Diwali Poems in Hindi
⧭⧭आओ मिलकर दीप जलाएं
अँधेरा धरा से दूर भगाएं
रह न जाय अँधेरा कहीं घर का कोई सूना कोना
सदा ऐसा कोई दीप जलाते रहना
हर घर -आँगन में रंगोली सजाएं
आओ मिलकर दीप जलाएं.
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हर दिन जीते अपनों के लिए
कभी दूसरों के लिए भी जी कर देखें
हर दिन अपने लिए रोशनी तलाशें
एक दिन दीप सा रोशन होकर देखें
दीप सा हरदम उजियारा फैलाएं
आओ मिलकर दीप जलाएं.
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⧭⧭भेदभाव, ऊँच -नीच की दीवार ढहाकर
आपस में सब मिलजुल पग बढायें
पर सेवा का संकल्प लेकर मन में
जहाँ से नफरत की दीवार ढहायें
सर्वहित संकल्प का थाल सजाएँ
आओ मिलकर दीप जलाएं
अँधेरा धरा से दूर भगाएं.
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⧭⧭आँखों से आँखों में मोहब्बत के दीये जलाना
झिलमिल-झिलमिल दीपों सा हिल-मिल के खुशी मनाना
कहीं ज्ञान का कही विज्ञान का रोशनी बीखेर
अँधेरा अदंर हो या बाहर तुम प्रेम से दीये जलाना
चाँद सूरज काफी नही है जग का तम हरने को
भर-भर मुट्ठी मशाल कोने -कोने पे जलाना
खंडहर हो या आलीशान महलें भेद-भाव न कर
अँधेरा रास न आया कीसी को तू हर जगह दीप जलाना
ये क्या बात हुई दिवाली में ही सिर्फ दीये जले
मकसद तमस मिटाना है तू वजह-बेवजह दीप जलाना
बुझे नही ज़िंदगी का चिराग किसी आंधी-तूफान से
गम और निराशा की कही कालिमा न रहे तू इतना दीप जलाना⬋⬋⬋
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