Happy Dussehra Poems in Hindi2017

⧭आज दशहरे की घड़ी आई
झूठ पर सच की जीत है भाई

रामचन्द्र ने रावण मारा
तोड़ दिया अभिमान भी सारा

एक बुराई रोज हटाओ
और दशहरा रोज मनाओ

हार के भी वो जीता रावण
मुक्ति पाई राम के चरणन्⬋⬋⬋⬋

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⧭⧭⧭Today is the day when we burn all our sins,
And promise to begin all over again,
Flames come and take all the darkness away,
Light shines and makes it own way,
Because this is the festival where truth wins,

We make our way towards a bright future
And with our heads high and up chins,
Take a vow to do all this together,
As we burn the ravana inside us
Which is kept like a false heather!
Happy dusherra⬋⬋⬋⬋

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⧭⧭दशहरा का तात्पर्य, सदा सत्य की जीत।
गढ़ टूटेगा झूठ का, करें सत्य से प्रीत॥

सच्चाई की राह पर, लाख बिछे हों शूल।
बिना रुके चलते रहें, शूल बनेंगे फूल॥

क्रोध, कपट, कटुता, कलह, चुगली अत्याचार
दगा, द्वेष, अन्याय, छल, रावण का परिवार॥

राम चिरंतन चेतना, राम सनातन सत्य।
रावण वैर-विकार है, रावण है दुष्कृत्य॥

वर्तमान का दशानन, यानी भ्रष्टाचार।
दशहरा पर करें, हम इसका संहार⬋⬋⬋

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4) Happy Dussehra Poetry in English

⧭⧭Implies Dussehra, the victory of Truth.
defenses broken, of lies, love is from the truth.
On the path of truth, millions are lined spine
continue to run without stopping, will be the flower spike.
Anger, hypocrisy, bitterness, strife, backbiting torture
deceitfulness, hatred, injustice, deceit, Ravana’s family.
Eternal consciousness Ram, Ram eternal truths.
Ravana revenge – disorder, Ravana’s malfeasance.
Dshann present, i.e. corruption.
Dussehra now on, we annihilate it⬋⬋⬋

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⧭विजय सत्य की हुई हमेशा,
हारी सदा बुराई है,
आया पर्व दशहरा कहता
करना सदा भलाई है.

रावण था दंभी अभिमानी,
उसने छल -बल दिखलाया,
बीस भुजा दस सीस कटाये,
अपना कुनबा मरवाया.

अपनी ही करनी से लंका
सोने की जलवाई है.

मन में कोई कहीं बुराई
रावण जैसी नहीं पले,
और अँधेरी वाली चादर
उजियारे को नहीं छले.

जिसने भी अभिमान किया है,
उसने मुँह की खायी है.

आज सभी की यही सोच है,
मेल -जोल खुशहाली हो,
अंधकार मिट जाए सारा,
घर घर में दिवाली हो.

मिली बड़ाई सदा उसी को
जिसने की अच्छाई है⬋⬋⬋⬋
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6) Ram Ravan Dussehra Kavita for Children

Kissa ek purana bacchon
Lanka me tha Ravan,
Raja ek Mahaabhimani,
Kampta jisse kan-kan.
Us Abhimani Ravan ne tha
Sabko khub sataya
Ramchandra jab aaya van me,
Sita ko har laya.

⧭Jhilmil Jhilmil Sone ki
Lanka pairo pe jhukti
Aur kal ki gati bhi bhai
Uske aage rukti.
Sundar thi lanka, lanka me
Sona hi sona tha
Lekin punya nahi papon ka
Bhara hua dona tha

⧭Tabhi raam aaye bandar, bhalu
Ki sena lekar
Sadh nishana sacchai ka
Teer chalaya paina
Lobh paap ki
Lanka dhoo dhoo
Jal kar rakh ho gai!
Diye Jale tabhi dharti par
Angeenat Lakho lakh⬋⬋⬋⬋

⧭Isliye to aaj dhoom hai,
Ravan aaj mara tha.
kate sheesh das das bari
Utara bhar dhara ka
Lekin socho , ki
Rawan Phir na chhal kar paye
Koi abhimani na phir
Kala raj chalaye!
Tabhi hogi sacchi diwali
Hoga tabhi Dusshera
Jagmag Jagmag hoga jab
Phir sacchai ka chehra⥁⥁⥁⥁⥁

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7) Happy Dusshera Poems in Hindi Characters

⧭भीतर के रावण को जो,आग खुद लगायेंगे ।
सही मायनों में वे ही ,दशहरा मनायेंगे।।

छिप कर बैठा ये दानव ,आज हर एक दिल में
भड़काता वैर की आग, हँसते-खेलते घरों में,
कलुषित मनोवासना को ,जो सदा मिटायेंगे।
सही मायनों में वे ही ,दशहरा मनाएंगे…
मन रावण फुंकार करे ,रक्त अपनों का बहे
मूली गाजर के जैसे ,मानव आज कट रहे
दया धर्म सद् भावों के,जो दीप जलायेंगे।
सही मायनों में वे ही ,दशहरा मनाएंगे….

मनाता है रंगरलियां ,ये काँटे बिखेरकर
दिखाता झूठे पंख है ,ये सत्य समेटकर
चुनकर काँटे राहों के,जो फूल बिछायेंगे
सही मायनों में वे ही ,दशहरा मनाएंगे….

धन-वैभव की इच्छा से, सराबोर रहता हर पल
बुद्धि ज्ञान को बिसराये, दुष्कर्म करे हरपल
“पूर्णिमा” मरे जमीर को जो ,सचेत कर पायेंगे।
सही मायनों में वे ही ,दशहरा मनायेंगे⬋⬋⬋
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⧭⧭Dusshera is a Victory Day,
Victory of Lord Ram over Raven,
Victory of almighty God over devil,
Victory of good over evil,
Victory of dharm over adharm.
It is a victory of life over death.

A victory of hope over despair,
A victory of creation over destruction,
A victory of light over darkness,
A victory of knowledge over ignorance.
A victory of justice over injustice,
Victory of dignity over oppression,
Alas! This victory will remain incomplete,
Till all the Kabeels, Sabeels and Afzals are hanged.

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⧭⧭विजयादशमी विजय का, पावन है त्यौहार।
जीत हो गयी सत्य की, झूठ गया है हार।।
रावण के जब बढ़ गये, भू पर अत्याचार।
लंका में जाकर उसे, दिया राम ने मार।।

विजयादशमी ने दिया, हम सबको उपहार।
अच्छाई के सामने, गयी बुराई हार।।
मनसा-वाता-कर्मणा, सत्य रहे भरपूर।
नेक नीति हो साथ में, बाधाएँ हों दूर⬋⬋⬋

पुतलों के ही दहन का, बढ़ने लगा रिवाज।
मन का रावण आज तक, जला न सका समाज।।
राम-कृष्ण के नाम धर, करते गन्दे काम।
नवयुग में तो राम का, हुआ नाम बदनाम।।

⧭⧭आज धर्म की ओट में, होता पापाचार।
साधू-सन्यासी करें, बढ़-चढ़ कर व्यापार।।
आज भोग में लिप्त हैं, योगी और महन्त।
भोली जनता को यहाँ, भरमाते हैं सन्त।।

⧭⧭जब पहुँचे मझधार में, टूट गयी पतवार⧭⧭
⧭⧭कैसे देश-समाज का, होगा बेड़ा पार⬋⬋


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