Shayari bewafa sanam new




  1. ये कविता हर उस शक्श पे है जो किसी का दिल बेदर्दी से तोड़ कर किसी और से बेपनाह महोब्बत करने का दावा करता है..... मेरी नज़र में लानत है ऐसे लोगों पर.....

  2. तुझसे हुई थी मेरी महोब्बत की तलाश शुरू...
  3. और तू मुझे ठुकरा के बैठा है...

  4. मै भटक रहा हूं आज तक विरानों में...
  5. और तू किसी और के साथ अपना जहां बसा के बैठा है...

  6. तेरे नाम से कभी सजाये थे कितने आशियाने मैने...
  7. और तू मुझे भूला के बैठा है...

  8. तेरी आंखों को रोशन करते करते में ही बुझ गया...
  9. और तू मेरा नाम ओ निशान तक मिटा के बैठा है...

  10. जो शक्श किसी को दिल बेरहमी से घायल कर चुका हो...
  11. यकीन नहीं होता वो आज किसी और की चाहत की मशाल जला के बैठा है.

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