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Thursday, 18 May 2017

रोज साहिल से समंदर का नज़ारा न करो

रोज साहिल से समंदर का नज़ारा न करो;
अपनी सूरत को शबो-रोज निहारा न करो;
आओ देखो मेरी नज़रों में उतर कर ख़ुद को;
आइना हूँ मैं तेरा मुझसे किनारा न करो~~

Thursday, 13 April 2017

मोहब्बत की हवा जिस्म की दवा बन गयी

मोहब्बत की हवा जिस्म की दवा बन गयी;
दूरी आपकी मेरी चाहत की सज़ा बन गयी;
कैसे भूलूँ आपको एक पल के लिए भी;
आपकी याद हमारे जीने की वजह बन गयी⇒⇒⇒