Friday 5 May 2017

चाहकर भी मुझे कोई छू ना सके मुझे कोई इस

आ जाओ किसी रोज़ तुम तो तुम्हारी रूह मे उतर जाऊँ !
साथ रहूँ मैं तुम्हारे ना किसी और को नज़र आऊँ !
चाहकर भी मुझे कोई छू ना सके मुझे कोई इस तरह !
तुम कहो तो यूं तुम्हारी बाहों में बिखर जाऊँ↵↵↵

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