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Tuesday, 9 May 2017

Friday, 5 May 2017

चाहकर भी मुझे कोई छू ना सके मुझे कोई इस

आ जाओ किसी रोज़ तुम तो तुम्हारी रूह मे उतर जाऊँ !
साथ रहूँ मैं तुम्हारे ना किसी और को नज़र आऊँ !
चाहकर भी मुझे कोई छू ना सके मुझे कोई इस तरह !
तुम कहो तो यूं तुम्हारी बाहों में बिखर जाऊँ↵↵↵

Tuesday, 21 March 2017

कभी आंसू तो कभी ख़ुशी देखी

  • कभी आंसू तो कभी ख़ुशी देखी,
  • हमने अक्सर मजबूरी और बेकसी देखी..
  • उनकी नाराज़गी को हम क्या समझें,
  • हमने तो खुद अपनी तकदीर की बेबसी देखी....

Sunday, 11 December 2016

जीना है यह सिख लिया परवानो से

  1. साहिल जो समझ ले मौजों को
  2. क्या ख़ौफ़ उसे तूफ़ानो से
  3. मर कर ही तो जीना है
  4. जीना है यह सिख लिया परवानो से