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Sunday 11 December 2016

ज़िंदगी भोर है सूरज सा निकलते रहिए

  1. हो के मायूस ना यून शाम से ढलते रहिए,
  2. ज़िंदगी भोर है सूरज सा निकलते रहिए,
  3. एक ही पावं पे ठहरोगे तो थक जाओगे,
  4. धीरे-धीरे ही सही राह पे चलते रहिए.

Monday 28 November 2016

जो वक़्त-बेवक़्त हमारी ही चर्चा किया करते हैं

➤शायद अब दुश्मन भी मुरीद हैं हमारे,
➤जो वक़्त-बेवक़्त हमारी ही चर्चा किया करते हैं,
➤छुपा के खंजर बगल में हमारी गली से गुज़रते हैं,
➤और मिलने पर सलाम-नमस्ते किया करते हैं।