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Wednesday, 28 June 2017

मोहब्बत है हम दोनों को एक-दूसरे से

आँखों में चाहत दिल में कशिश है;
ना जाने फिर क्यों मुलाकात में बंदिश है;
मोहब्बत है हम दोनों को एक-दूसरे से;
फिर भी दिलों में ना जाने यह रंजिश क्यों है।

Thursday, 11 May 2017

Sunday, 16 April 2017

जो अपनी गिरह में हैं वो खो भी रहे

जो बात मुनासिब है वो हासिल नहीं करते;
जो अपनी गिरह में हैं वो खो भी रहे हैं;
बे-इल्म भी हम लोग हैं ग़फ़लत भी है तेरी;
अफ़सोस के अंधे भी हैं और सो भी रहे हैं⤳⤳⤳⤳