और भी बनती लकीरें दर्द की शायद कई;
शुक्र है तेरा खुदा जो हाथ छोटा सा दिया;
तूने जो बख्शी हमें बस चार दिन की ज़िंदगी;
या ख़ुदा अच्छा किया जो साथ छोटा सा दिया⤣⤣⤣
शुक्र है तेरा खुदा जो हाथ छोटा सा दिया;
तूने जो बख्शी हमें बस चार दिन की ज़िंदगी;
या ख़ुदा अच्छा किया जो साथ छोटा सा दिया⤣⤣⤣